हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام العلی علیه السلام
عـَلَيـْكـُمْ بـِكـِتـابِ اللّهِ، فـَاِنَّهُ الْحـَبـْلُ الْمـَتينُ وَالنُّورُ الْمُبينُ، وَالشِّفاءُ النّافِعُ وَالرِّىُّ النّاقِعُ وَالْعِصْمَةُ لِلْمُتَمَسِّكِ وَالنَّجاةُ لِلْمُتَعَلِّقِ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अल्लाह की किताब से जुड़े रहो, क्योंकि यह किताब मज़बूत रस्सी, रौशन नूर, शिफा देने वाली, प्यास बुझाने वाली किताब हैं, जो इस किताब से जुड़ा रहे इसके लिए मुहाफिज़ और जो इस की शरण ले किसके लिए निजात हैं।
नहजुल बलाग़ा,पेंज 490